मुंबई का हुनर हाट बहुरंगी और बहुआयामी हुनर की जीती-जागती मिसाल है। किसी का हुनर संयुक्त परिवार का पेट पाल रहा है तो किसी का हुनर अपने बड़े भाई को यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की तैयारी में मदद दे रहा है। कोई पारंपरिक प्रचलन से जुड़ी अद्भुत कला को बचाने और बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। हुनर हाट ऐसे तमाम हुनरमंदों के हुनर को हिम्मत और हौसला देने का काम कर रहा है।
हुनर हाट की कमाई से तेमेश्वर यूपीएससी की तैयारी कर रहे अपने बड़े भाई को देंगे आर्थिक मदद
मुंबई के हुनर हाट में तेमेश्वर देवांगन का स्टॉल नंबर 95 है। पहली बार हुनर हाट का हिस्सा बने हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले के एक छोटे से गाँव कोंडा से आए तेमेश्वर में गजब का हुनर है। बाँस से शानदार प्रोडक्ट बनाते हैं। बाँस से बने रेन साउंड मेकर, विंड फ्लूट साउंड मेकर, प्लांट हैंगर, मनी प्लांट लगाने के लिए स्टैंड वाला बॉक्स, फव्वारा, बर्ड हाउस, लैम्प झूमर न सिर्फ आकर्षक हैं बल्कि उपयोगी भी हैं। बाँस के अलावा सूखी लौकी के खोल से बना लैम्प झूमर भी बेहद सुंदर लगता है। ये तमाम सामान बनाने के लिए तेमेश्वर और उनकी 7-8 लोगों की एक टीम मेहनत काम करता है। स्थानीय बाज़ार में न अच्छी सेल होती है और न आमदनी लेकिन मुंबई के हुनर हाट में मिल रहे लोगों के रिसपॉन्स से बहुत खुश और उत्साहित हैं। तेमेश्वर बातचीत में बताते हैं कि उनके परिवार में 6 लोग हैं। बड़े भाई यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। मुंबई के हुनर हाट में होने वाली आमदनी से वो अपने भाई को आर्थिक मदद दे सकेंगे जिससे उनकी तैयारी और बेहतर तरीके से हो सकेगी।
“हीटिंग एंड बीटिंग” आर्ट को बढ़ावा दे रही हैं दीप्तिमयी
55 नंबर स्टॉल उड़ीसा के ढेंकनाल से मुंबई आईं दीप्तिमयी दास का है। 43 साल की दीप्तिमयी का ये दूसरा हुनर हाट है। इससे पहले ये चंडीगढ़ के हुनर हाट में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं और इनके शानदार उत्पाद वहाँ लोगों ने बहुत पसंद किए थे। चंडीगढ़ में अच्छी बिक्री से इनकी आमदनी भी काफी हुई थी और अब मुंबई में इनको चंडीगढ़ से ज़्यादा अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। कांसा और पीतल को गर्म करके फिर हथौड़े से पीट-पीट कर घर की दैनिक ज़रूरत का सामान बनाने की कला को बचाने और बढ़ाने की कोशिश में लगीं दीप्तिमयी हुनर हाट में मिले मौके को किसी वरदान जैसा मानती हैं। उनका कहना है कि हुनर हाट का हिस्सा बनने से न सिर्फ उनकी कमाई बढ़ी है बल्कि हिम्मत भी बढ़ी है। हुनर हाट से जुड़ने से उनके काम में हाथ बँटाने वाले करीब 20 लोगों और उनके परिवार को मदद मिलेगी। दीप्तिमयी के समूह में शामिल पुरुष दस्तकार और शिल्पकार रसोई के लिए ज़रूरी बर्तन बनाने का काम करते हैं, वहीं महिला शिल्पकार आर्टिफिसियल ज्वैलरी बनाने में उनकी मदद करती हैं। चंडीगढ़ के हुनर हाट में दीप्तिमयी को उनके प्रयासों के लिए सम्मानित भी किया गया था। अब मुंबई के हुनर हाट में अच्छे ख़रीदार मिलने से दीप्तिमयी बेहद उत्साहित हैं और भविष्य में अपने काम का विस्तार करने के सपने बुन रही हैं और वो इसका श्रेय हुनर हाट और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी को देती हैं।
बेहतर भविष्य की संभावनाओं को साकार करेगा हुनर हाट
राजस्थान के बांसवाड़ा से आए रामलाल तिरगर लोहा, बाँस और सागौन की लकड़ी से तीर-कमान बनाते हैं। ये भी पहली बार हुनर हाट में शामिल हुए हैं और इनका स्टॉल नंबर 154 है। 2008 से तीर-कमान बनाने का काम करने वाले रामलाल ने ये काम अपने बड़े भाई से सीखा है। बड़े भाई के निधन के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी इनके कंधों पर आ गई। बांसवाड़ा में तीर-कमान बेचने से होने वाली कमाई से ज़्यादा कमाई हुनर हाट में हो रही है। अच्छी बिक्री से इनकी हिम्मत बढ़ी है और अब ये अपने परिवार का पालन पहले से ज़्यादा अच्छे ढंग से कर सकेंगे। हुनर हाट में हो रहे अनुभव को बहुत अच्छा बताते हुए रामलाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तहेदिल से शुक्रिया अदा कर रहे हैं और अपने बेहतर भविष्य की संभावनाओं को साकार करने में हुनर हाट को एक प्रभावी प्लेटफॉर्म के तौर पर देख रहे हैं।
हुनर हाट दस्तकारों, शिल्पकारों और कारीगरों की ऐसी कहानियों से भरा हुआ है। इन सभी की शानदार और जानदार कला को सम्मान देते हुए इनकी उड़ान में हौसले के पंख लगाना हुनर हाट का मकसद है। हुनर हाट “वोकल फ़ॉर लोकल” को मूल मंत्र मानते हुए हस्तनिर्मित उत्पादों को मंच, मौका और मार्किट मुहैया कराने की कोशिश बखूबी कर रहा है।